Atyachar ka samman

- Kasish Nunia

मैं डॉक्टर थी ना माँ कैसे चुप रहती । मेरा काम लोगो को बचाना,
उन लोगों के अत्याचार माँ में कैसे शामिल हैं,
बचाया सबको ना देखा धरम ना देखी जात। फिर पता नहीं खुदा ने ये क्यू करा, उसने लेनी चाही मेरी जान।
टूटा था कॉलर टूटा था पेल्विस
पर वो मेरा होशला ना तोड़ सका वो मार न सके मुझे तो गले को था दबा दिया ।।
वो लोग इंसान नहीं हैवानों से भी बत्तर थे, अकेले वो आये नहीं
माँ वो तेरी बेटी से डरते थे।
बाबा आप रोना मत बेटी पे अपनी नाज़ करना, मैं देश के लिए लड़ी या मर गई मुझे हत्या नहीं शहीद का नाम देना ।
सच कहूं तो बाबा मैंने मर कर आंखें खोली हैं, सोये हुए लोगो को जगाया है बाबा आपकी बेटी क्रांतिकारी है।
आपको गर्व है आपकी बेटी एक डॉक्टर है,
सब कुछ दिया आपको
बाबा पर किस्मत से में हार गई
आँखों से खून बहने लगे।
लेकिन आपकी बेटी आंखों में आंखें डाल कर खड़ी थी । ।
माफ़ करना माँ घर में पूजा में ना आ सकेगी,
माँ दुर्गा की धरती ये खुद को सुरक्षित न कह सकेगी।। (2x)